‘केबीसी’ ने कितनी ही ज़िंदगियाँ बदल दीं

जब 21 साल पहले स्टार प्लस ने 3 जुलाई 2000 को कौन बनेगा करोड़पति का प्रसारण शुरू किया था, तो दर्शकों के लिए यह एक अजूबा सा शो था। किसी टीवी गेम शो से सामान्य ज्ञान के बलबूते लाखों, करोड़ कमाए जाने की बात पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन कौन बनेगा करोड़पति ने कुछ ही दिनों में सभी की आँखों में ऐसी चमक भर दी कि इसकी हॉट सीट पर आना बच्चों से बूढ़ों तक सभी के लिए बड़ा सपना हो गया। इसके पहले सीजन में पहली बार दर्शकों की उत्सुकता तब बढ़ी जब रोहिणी दिल्ली के रमेश अरोड़ा ने 25 लाख रुपए जैसी बड़ी राशि जीती। 

अब जब इस केबीसी का 13 वां सीजन चल रहा है और अब 3 दिसंबर को इसके एक हज़ार एपिसोड पूरे हो गए हैं, तब भी इसकी लोकप्रियता सातवें आसमान पर है। असंख्य लोग बरसों से केबीसी की हॉट सीट तक पहुँचने के लिए दिल ओ जान से साधना-तपस्या कर रहे हैं। जो इस सीट तक पहुँच जाता है वह खुशी से पागल सा हो जाता है, उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है, वह रो पड़ता है। जो केबीसी के मंच पर 10 प्रतियोगियों में पहुँचकर भी हॉट सीट पर आने से वंचित रह जाता है, वह फूट फूट कर रोता है, खुद को बदनसीब समझने लगता है। 

सच गजब का खेल हो गया है केबीसी, बहुत ही गजब का। ऐसा शो जो न पहले कभी था और शायद इस जैसा कोई और शो न फिर कभी होगा। केबीसी ने कितने ही लोगों की ज़िंदगी बदल दी। यहाँ तक खुद अमिताभ बच्चन की ज़िंदगी भी केबीसी ने ऐसी बदली कि पिछले 50 बरसों ने जो उन्हें फिल्मों से मिला, उससे कहीं कहीं ज्यादा केबीसी से मिल गया है। केबीसी का एक हज़ारवां एपिसोड तब और भी दिलकश और शानदार हो गया जब अमिताभ ने उसमें अपने परिवार को शामिल किया। उनके सामने हॉट सीट पर उनकी लाड़ली बेटी श्वेता और नातिन नव्या नवेली बैठी थीं और सामने स्क्रीन पर वर्चुअली जया बच्चन भी उनके साथ थीं। श्वेता अपने पापा से कहती है – पापा मैं पूछना चाहती हूँ कि यह हज़ारवां एपिसोड है, आपको कैसे लग रहा है? अमिताभ जवाब देते हैं- ‘’ऐसा लगा कि पूरी दुनिया बदल गयी।‘’