वर्ष 2020 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार किसे मिले ? पढ़िये

 

साहित्य अकादेमी द्वारा 18 सितंबर को साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2020 प्रदान किए गए। कमानी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  प्रख्यात कवि और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि प्रकृति ने सबको कुछ न कुछ विशेष दिया है और लेखकों को तीन योग्यताएं  संवेदनशीलता, परकाया प्रवेश और अभिव्यक्ति की विशेष  क्षमता प्रदान की है।  इन्हीं विशेष योग्यताओं के कारण वह  स्व से अन्य को जोड़ता है और दूसरे की वेदना का प्रवक्ता बन जाता है।  लेखक यह अपना धर्म समझकर करता है।  इतनी शक्तियां जब प्रकृति ने दी हैं तो लेखक को कुछ विशेष करना चाहिए। आज जब पूरी दुनिया हिंसा से जूझ रही हैतब लेखक को अहिंसा का रास्ता अपनाकर समाज का मार्गदर्शन करना  चाहिए। साहित्य परिवर्तन  की अहिंसक प्रक्रिया है। आगे उन्होंने बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विकास जब प्रकृति में हस्तक्षेप करेगा तो वह विनाश का कारण बनेगा। अगर हमारा लक्ष्य सुख और शांति है, जो कि मनुष्यता का लक्ष्य होना चाहिए, इसलिए एक बुद्धिजीवी के रूप में लेखक को मनुष्य धर्मी ही नहीं बल्कि प्राणिमात्र धर्मी और पर्यावरण धर्मी भी होना चाहिए। उन्होंने  सभी को अपनी मातृभाषा को बचाने और चिंता करने की  जरूरत पर भी जोर दिया ।

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि आज जब यह पुरस्कार दिया जा रहा है तब आप हमारे भारत की हर भाषा के श्रेष्ठ साहित्य लिखने वाले लेखकों को यहाँ देख सकते हैं। यह भारत की बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक प्रतिभा का सम्मान है यह सांस्कृतिक उच्चता और मानवधर्मी विचारों के सुंदर संयोग का सम्मान है। यह श्रेष्ठ साहित्य विभिन्न विधाओं में अपनी विविध वर्णी आभा के साथ स्थानीय और वैश्विक यथार्थ को हमारे सामने लाने का बड़ा कार्य कर रहा है। यह सम्मान उसी श्रेष्ठ का  है।

साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने समापन वक्तव्य दिया। उन्होंने भारत की बहुभाषिकता और बहुवचनात्मकता को पूरी दुनिया में अनूठा कहा। उन्होंने कहा कि साहित्यकार सामान्य जन की पीड़ा का प्रवक्ता होता है। यह सम्मान ऐसे ही साहित्यकारों का है। साहित्य अकादेमी पैसा नहीं प्रतिष्ठा देती है।

साहित्य अकादमी के सचिव डा.के श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत एक है भले ही अनेक भाषाओं में बोलता है। साहित्य और भाषा में वह क्षमता होती है जो अपनी भाषा, सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक यथार्थ को अपने साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। 


पुरस्कृत हुए लेखकों के नाम- अपूर्व कुमार शइकीया (असमिया) शंकर (बाङ्ला) (स्व.) धरणीधर औवारि (बोडो) अरुंधति सुब्रमण्यम (अंग्रेज़ी) हरीश मीनाश्रु (गुजराती) अनामिका (हिंदी) एम. वीरप्पा मोइली (कन्नड) ( स्व . ) हृदय कौल भारती (कश्मीरी) आर. एस. भास्कर (कोंकणी) कमलकान्त झा (मैथिली) ओमचेरी एन.एन. पिल्लई (मलयाळम्) इरुङ्गबम देवेन सिंह (मणिपुरी) शंकर देव ढकाल (नेपाली) यशोधरा मिश्रा (ओड़िआ ) गुरदेव सिंह रूपाणा (पंजाबी) भंवरसिंह सामौर (राजस्थानी ) महेशचन्द्र शर्मा गौतम (संस्कृत) रूपचंद हांसदा (संताली) जेठो लालवाणी (सिंधी) इमाइयम ( तमिळ ) निखिलेश्वर (तेलुगु) हुसैन-उल-हक़ (उर्दू)।

पंजाबी और बंगाली के विजेता पुरस्कार लेने नहीं आ पाए  और बोडो, कश्मीरी तथा मलयालम के विजेताओं के परिजनों ने पुरस्कार ग्रहण किए ।

इसके साथ ही साहित्य अकादेमी द्वारा 2020 के अनुवाद पुरस्कारों की घोषणा भी की गई। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में रवीन्द्र भवन, नई दिल्ली में कार्यकारी मंडल की बैठक में 24 पुस्तकों  को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2020 के लिए अनुमोदित किया गया । पुस्तकों का चयन  नियमानुसार गठित संबंधित भाषाओं की त्रिसदस्यीय निर्णायक समितियों की संस्तुतियों के आधार पर किया गया। पुरस्कार, पुरस्कार वर्ष के पूर्ववर्ती वर्ष के पहले के पांच वर्षों (1 जनवरी 2014 से 31 दिसंबर 2018) के दौरान प्रथम प्रकाशित अनुवादों को प्रदान किए गए है। पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपये की राशि और उत्कीर्ण ताम्रफलक इन पुस्तकों के अनुवादकों को इसी वर्ष आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किए जाएंगे।