इसकी हालिया मिसाल यह है कि गत 14 दिसम्बर को राज कपूर के 96 वें जन्म दिन पर मॉस्को में हिंदुस्तानी समाज रूस और जवाहरलाल नेहरु सांस्कृतिक केंद्र मॉस्को द्वारा "एक शाम राज कपूर और गीतकार शैलेन्द्र के नाम" का आयोजन किया गया।
इस अन्तराष्ट्रीय ऑन लाइन साहित्यिक संगीतमयी संध्या में रूस और भारत के अतिरिक्त कुछ अन्य देशों के भी, राजकपूर, मुकेश और शैलेंद्र प्रशंसकों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए रूस में भारत के राजदूत वेंकटेश वर्मा ने कहा -"राजकपूर की फिल्मों और गीतों ने हिंदुस्तान और रूस को बहुत प्रभावित किया है। आज 70 साल बाद भी यह जादू मौजूद है। राजकपूर की फिल्मों की बदौलत भी दोनों देशों की दोस्ती मजबूत हुई है। हिन्दुस्तानी समाज को में इस खूबसूरत कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए अपनी बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। साथ ही इस कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ गीत प्रस्तुत करने वालों को दस हज़ार रूबल के पुरस्कार की घोषणा करता हूँ।".
इस यादगार कार्यक्रम में किसने क्या कहा, आईए बताते हैं-
सिनेमा के प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर प्रह्लाद अग्रवाल ने कहा -"राजकपूर दुनिया के ऐसे महान अभिनेता हैं कि जितना वह जुबान से बोलते हैं, उससे अधिक आंखों से बोलते हैं। राज कपूर हमारे दिल मे हमेशा थे और हमेशा रहेंगे। राजकपूर और शैलेन्द्र ने अपनी फिल्मों और गीतों से दुनिया को मोहब्बत का पैगाम दिया। जिसके पास मोहब्बत भरा दिल है वह व्यक्ति ही सबसे बड़ा है।
हिंदुस्तान के प्रख्यात कवि नरेश सक्सेना ने कहा-"शैलेन्द्र केवल सिनेमा के ही मशहूर गीतकार नहीं थे बल्कि वह हिंदी के बड़े कवि भी थे। उनके गीतों के शब्द हमारे दिल मे समाये हुए हैं। शैलेन्द्र आज के समय के कबीर हैं। कबीर और तुलसी जैसी लोकप्रियता केवल शैलेन्द्र के गीतों को प्राप्त है।
तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और कवि डॉ
इरशाद कामिल ने कहा कि " गीतकार शैलेन्द्र सूफी भी हैं, आशिक भी ,देशभक्त भी और विद्रोही भी।उन्होंने
गीतों में अपनी और हमारी भावना को एकमेव कर दिया है। शैलेन्द्र के सभी गीतों को
मैं अपना दोस्त मानता हूँ। उनके गीत एक दोस्त की तरह मेरे साथ रहते हैं। वह मुझे
सहारा देते हैं।"
उधर शैलेन्द्र सम्मान के संस्थापक और शैलेंद्र पर दो पुस्तकों का संपादन कर चुके
डॉ इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि "शैलेन्द्र के गीतों को लोग कबीर के दोहों,तुलसी की चौपाइयों और ग़ालिब के शेरो की तरह गाते हैं। उनके गीत मुहावरे और लोकोक्तियों की तरह हमारी ज़िंदगी का हिस्सा हैं।
मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी की रूसी हिंदी भाषा की प्रोफेसर गुजेल स्त्रेलकोवा ने कहा कि राजकपूर की फिल्मों और शैलेन्द्र के गीतों की दीवानगी बहुत लंबे समय से हम रूसियों के मन मे रही है। फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफ़ाम' (जिस पर शैलेंद्र ने राज कपूर को नायक लेकर फिल्म 'तीसरी कसम' बनाई थी) का रूसी भाषा मे अनुवाद किया गया। फिल्म ‘तीसरी कसम’ रूस में प्रदर्शित भी हुई थी।
गीतकार शैलेन्द्र के बेटे मनोज शैलेन्द्र ने कहा कि उनके पिता रूस के प्रसिद्ध
कवि पुश्किन को बहुत पसंद
करते थे। दिलचस्प यह है कि राजकपूर साहब शैलेन्द्र जी को पुश्किन
नाम से संबोधित करते थे। शैलेन्द्र की बेटी अमला शैलेन्द्र मजूमदार ने कहा कि बचपन
में जब हम उनका लिखा गीत ‘दिल का हाल सुने दिल वाला’ के
अन्तरे सुनते थे तो बड़ी हसीं आती थी लेकिन जब बड़े हुए तो पता चला कि उस व्यंग्य गीत में कितना गहरा अर्थ है। यह गीत
समाज में फैले भ्रष्टाचार की कलई
खोलता है।
शैलेंद्र के छोटे बेटे फ़िल्म निर्देशक दिनेश शैलेन्द्र ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए कहा-"राजकपूर साहब और शैलेन्द्र जी के बारे में इतनी अच्छी शाम आयोजित की गई, इसके लिए मैं हिंन्दुस्तानी समाज और जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र मॉस्को का आभार व्यक्त करता हूँ "
संगीत कार्यक्रम की शुरुआत शैलेन्द्र के लोकप्रिय गीत "तू प्यार का सागर है" से हुई, जिसे गायक एलेग्जेंडर गाकर शुरू में ही खूबसूरत माहौल बना दिया। बाद में पीयूष निगम, मेहुल ,आमिर खान संतोष मिश्रा मारिया ,जितेश, अर्णव,फियाना और सनाया ने भी शैलेन्द्र के गीतों को गाकर सभी का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम में जो अन्य गीत प्रस्तुत किए गए उनमें प्रमुख हैं -किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, सब कुछ सीखा हमने, रमैया वस्ता वैया ,सजन रे झूठ मत बोलो, दोस्त दोस्त न रहा, मेरा जूता है जापानी। कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन लेखिका प्रगति टिपनिस ने किया। हिंदुस्तानी समाज के अध्यक्ष डॉ कश्मीर सिंह ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी अतिथियों का स्वागत किया तो वरिष्ठ उपाध्यक्ष आनंद शेखर सिंह ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त।