केतु में वृश्चिक राशि के प्रवेश से विश्व में छिपे कुछ रहस्यों से उठेगा पर्दा
                                       

                                                   

     - एस्ट्रो सार्थक गुलाटी 

 

राहु और केतु ग्रह बृहस्पति और शनि के समान धीमी गलती से चलने वाले ग्रह हैं। सामान्य तौर पर ये दोनोें एक राशि में 18 महीने तक रहते हैं। इस बार 23 सितम्बर 2020 को राहु और केतु ने अपनी-अपनी उच्च राशियों में प्रवेश किया है। प्रत्येक ग्रह की अपनी एक उच्च राशि होती है जिसमें वह सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है। 17 वर्षों के पश्चात् राहु और केतु का अपनी उच्च राशि वृषभ और वृश्चिक में आगमन वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक बङा और महत्त्वपूर्ण राशि परिवर्तन है जहाँ राहु-केतु अगले 18 महीने तक अर्थात् 11 अप्रैल 2022 तक उच्च रहने वाले हैं। 

 

इस राशि परिवर्तन का विश्व और अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा असर देखने को मिलेगा। वृषभ राशि भौतिकवाद, भोग-विलास, धन-संपदा और स्टॉक मार्केट को दर्शाता है। राहु भी इन्हीं गुणों और विशेषताओं का कारक है। राहु का प्रवेश वृषभ राशि के मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है जो आर्थिक इच्छाओं और उनकी पूर्ति हेतु प्रयास करने वाला नक्षत्र है। राहु का वृषभ राशि में राशि परिवर्तन उत्तरी-पूर्वी देशों में आर्थिक उतल-पुथल मचा सकता है। वहीं दूसरी ओर केतु का वृश्चिक राशि में प्रवेश विश्व के कईं हिस्सों में काफ़ी समय से छिपे हुए कुछ रहस्यों से पर्दा उठा सकता है। इन घटनाओं का दक्षिण-पश्चिमी देशों में घटित होने की संभावना है। केतु का आगमन वृश्चिक राशि के ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ है जो व्यक्ति के आध्यात्मिक और बौद्धिक बल बढ़ने का संकेत देता है।

 

यहाँ एक बात और गौर करने लायक है कि इस समय वैदिक ज्योतिष के चार नैसर्गिक क्रूर गह मंगल, शनि, राहु और केतु बलवान स्थिति में हैं। जहाँ एक ओर राहु-केतु उच्च स्थिति में हैं तो वहीं दूसरी ओर शनि और मंगल स्वराशि स्थित हैं। दिसंबर 2020 में बनने वाले काल सर्प योग के कारण इन तामसिक ग्रहों के बल में वृद्धी होने की संभावना है। इसके द्वारा कोरोना जैसी महामारी में भी वृद्धी होने और आगे लंबे समय तक इसके रहने का अनुमान लगाया जा सकता है। फरवरी 2021 से मार्च 2021 में राहु-मंगल युति से उत्पन्न होने वाला अंगारक दोष विश्व में युद्ध या युद्ध होने की स्थिति पैदा कर सकता है। परंतु उसके बाद नकारात्मक परिवेशों में क्रमशः कमी देखने को मिलेगी। 

 

आइए अब बात करते हैं इस राशि परिवर्तन से अन्य राशियों पर पङने वाले प्रभावों की :

 

*मेष*- आर्थिक तौर पर बहुत ही अच्छा समय है। निवेश करने से लाभ मिलेगी। आध्यात्मिक प्रगति के लिए भी समय अच्छा है। घर की बूढ़ी औरतों का ध्यान रखें।

 

*वृषभ*-आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव रहेगा। प्रेम संबंध विच्छेद हो सकते हैं। कोई गलत कदम न उठाएँ। गुस्से से बचें।

 

*मिथुन*- स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शत्रुओं का भय बना रहेगा। मामा या बुआ को कष्ट हो सकता है। आर्थिक तंगी झेलनी पङ सकती है।

 

*कर्क*- आर्थिक तौर पर बहुत ही अच्छा समय है। कईं लाभ और सफलताएँ मिलेंगी। शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा समय हैं। बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

 

*सिंह*- करियर में सफलता मिलेगी। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नई ज़मीन या मकान मिलने की संभावना है।

 

*कन्या*- धार्मिक कार्य बढ़ेंगे। ईश्वर भक्ति में मन लगेगा। बहुत लोगों का सहयोग मिलेगा। कुछ नया करने के लिए सही समय है।

 

*तुला*- आर्थिक स्थिति ख़राब हो सकती है। कष्टों का सामना करना पङ सकता है। घर के बीमार और बूढ़े लोगों का ध्यान रखें।

 

*वृश्चिक*- आध्यात्मिक प्रगति के लिए अच्छा अवसर है। तनाव रह सकता है। करियर और निवेश के लिए अच्छा समय है।

 

*धनु*- आध्यात्म में रूचि बढ़ सकती है। सभी शत्रु पराजित होंगे। आर्थिक स्थिति सही रहेगी। सरकार से सहायता मिलने के आसार हैं।

 

*मकर*- शिक्षा, धन और निवेश के लिए बहुत ही अच्छा अवसर है। बच्चों की शिक्षा और पदोन्नति संभव है। मित्रों का पूर्ण सहयोग रहेगा।

 

*कुंभ*- करियर में उतार-चढ़ाव रहेंगे। नई ज़मीन या मकान खरीद सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

 

*मीन*- बल, भाग्य और धार्मिक प्रवृत्ति तीनों बढ़ेंगी। भाई-बहनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। लंबी यात्रा के आसार हैं।

 

अपनी राशियों से संबंधित अधिक जानकारी और उपाय के लिए आप एस्ट्रो सार्थक गुलाटी के इंस्टाग्राम पेज (The Zodioc Cult) से जुड़कर पूछ सकते है।    

 

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