आँखों पर पट्टी बांधकर अभिनय करना बहुत बहुत मुश्किल था- रेणुका इसरानी


- प्रदीप सरदाना 


वरिष्ठ पत्रकार, फिल्म समीक्षक  


अभिनय की दुनिया में आँखें अभिनय का सबसे सशक्त माध्यम होती है। लेकिन यदि किसी को आँखों पर ही पट्टी बांधकर अभिनय करना पड़े तो उसका क्या हाल होगा, यह समझा ही जा सकता है। लेकिन उसके बावजूद वह अपने अभिनय का लोहा मनवा ले तो फिर कहने ही क्या हैं। ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं रेणुका इसरानी, जो इन दिनों एक बार फिर ‘महाभारत’ सीरियल में अपनी गांधारी की भूमिका के लिए सुर्खियों में हैं। करीब 30 साल पहले जब पहली बार ‘महाभारत’ का दूरदर्शन पर प्रसारण हुआ था तब भी हर कोई रेणुका के शानदार अभिनय का कायल था और आज भी जब एक साथ तीन चैनल पर ‘महाभारत’ का प्रसारण हो रहा है, तब भी। हाल ही में ‘महाभारत’ में गांधारी की भूमिका कर रही इस अभिनेत्री रेणुका इसरानी से बात हुई तो कई नई पुरानी यादों का सिलसिला चल निकला। रेणुका ने बताया, ‘महाभारत’ को लेकर आज जिस तरह लोगों का रेस्पोंस मिल रहा है उसे देख बहुत खुशी होती है। मैं ‘महाभारत’ से पहले ‘हम लोग’ सीरियल में अपनी उसा रानी की भूमिका से इतनी लोकप्रिय हो गयी थी कि मैं फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो गयी थी। वहाँ चोपड़ा साहब ने मुझे ‘महाभारत’ के एक ऑडिशन के लिए बुलाया तो मैं चाहती थी कि मुझे द्रौपदी, कुंती या गांधारी में से कोई एक भूमिका मिले। लेकिन जब मुझे गांधारी के लिए फ़ाइनल कर लिया गया तो मेरे मन में एक साथ कई सवाल उभरे। पहला यह कि मैं अभी नयी नयी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी बड़ी पहचान बनाने के लिए मुंबई आई हूँ। लेकिन गांधारी बनने से मेरा पूरा चेहरा दर्शकों के सामने ही नहीं आएगा तो मेरी पहचान कैसे बनेगी। फिर यह भी कि दिन पर दिन सीरियल में मेरी उम्र बढ़ती जाएगी और दुर्योधन और अन्य कौरवों की माँ के रूप में दिखाने के लिए मेरे बालों पर सफेदी लगाकर मुझे मेरे करियर की शुरुआत में ही बुजुर्ग बना दिया जाएगा तो मेरा तो करियर ही चौपट हो जाएगा। लेकिन तभी मैंने सोचा मेरे लिए यह रोल एक बड़ी चुनौती है यदि अब इसे नहीं कर सकी तो मैं अभिनेत्री ही कैसी। संयोग देखिये सब इतना अच्छा हो गया। आँखों पर पट्टी बांधकर अभिनय करना बहुत बहुत मुश्किल था। क्योंकि मैं अपने आँखों के भाव प्रकट ही नहीं कर सकती थी। लेकिन मुझे गांधारी के रूप जहां जबरदस्त लोकप्रियता और एक नयी पहचान मिली। वहाँ देश विदेश में कई पुरस्कार भी मुझे मिले। बरसों बीत गए लेकिन आज भी फिल्म और टीवी में अपनी सुविधा से काम करती रही हूँ।