टाइगर ज़िंदा हैं...दिखाएगी ये फिल्म

                           


                टाइगर ज़िंदा हैं...दिखाएगी ये फिल्म


प्रदीप सरदाना


सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ और ‘टाइगर ज़िंदा है’ ने सफलता की जो पताका फहराई वह किसी से छिपी नहीं है। हालांकि इन फिल्मों में जंगल के उस राजा टाइगर की कहानी नहीं थी जो टाइगर पिछले कुछ बरसों से दुनियाभर से तेजी से लुप्त होते रहे हैं। लेकिन जब भारत में विभिन्न प्रयासों से टाइगर की संख्या फिर से बढ्ने लगी तो कुछ समय पहली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात को बताते हुए कहा था टाइगर ज़िंदा है। लेकिन आज उसी टाइगर की जिंदगी से जुड़ी बहुत सी जानी अनजानी बातों को टीवी पर देखा जा सकेगा।


इन दिनों जब जहां एक ओर कोरोना के चलते जब ज़्यादातर थिएटर्स बंद हैं और लोग घरों में बैठकर कुछ नया देखने के लिए तरस रहे हैं तो ऐसे में आज  उस टाइगर को अच्छे से जानने, समझने का मौका है, जो सदियों से सभी को आकर्षित करता रहा है।


आज विश्व वन्य दिवस है। इसलिए एपिक चैनल टाइगर की जिंदगी के विभिन्न रंगों को दोपहर 12 बजे और रात 8 बजे अपनी ‘एमेरल्ड फॉरेस्ट’ फिल्म के माध्यम से दिखाने जा रहा है। जिसका 22 मार्च को रात साढ़े 8 बजे पुनर्प्रसारण भी होगा।


यहाँ यह भी दिलचस्प है की आजकल जब मध्यप्रदेश अपनी राजनैतिक सरगरमियों के लिए सुर्खियों में है। वहाँ एपिक चैनल की इस डॉक्यूमेंटरी फिल्म में मध्यप्रदेश के ही उस प्रसिद्द पन्ना नेशनल पार्क को खास तौर से देखा जा सकेगा, जहां टाइगर की संख्या ज़ीरो हो गयी थी लेकिन अब वहाँ 50 से अधिक टाइगर हो गए हैं। फिल्म में उन भारतीय वन्य अधिकारी श्रीनिवास मूर्ती से बातचीत भी होगी कि किस तरह उनके प्रयासों से यहाँ टाइगर की संख्या में शानदार ढंग से बढ़ोतरी की जा सकी। इस डॉक्यूमेंटरी फिल्म में टाइगर के अलावा जंगल के और भी जीव जंतुओं की रोचक और जोखिम भरी दुनिया को देखा जा सकेगा। एपिक के कार्यक्रम प्रमुख तसनीम लोखंडवाला कहते हैं – “यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए क्योंकि यह सभी के लिए एक प्रेरणा है।“


असल में यह फिल्म हम सभी को इस बात के लिए भी जागरूक करेगी कि वन्य जीवों का हमारी ज़िंदगी में क्या महत्व है और विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए हमको स्वयं क्या करना चाहिए।