मधुबाला और मीना कुमारी को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले कमाल अमरोही


मधुबाला और मीना कुमारी को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले कमाल अमरोही


प्रदीप सरदाना


मेरा दिल भी आपका कोई हिंदुस्तान नहीं जिस पर आप हुकूमत करें।“ “आपके पाँव देखे, बहुत खूबसूरत हैं, इन्हें ज़मीन पर नहीं उतारिएगा, मैले हो जाएँगे।“ ‘पाकीज़ा’ और ‘मुगल ए आजम’ जैसी फिल्मों के ये और इन जैसे अनेकों संवादों से सिनेमा घरों की दीवारों को तालियों की गूंज से हिलाने वाले संवाद लेखक कमाल अमरोही की बात ही कुछ और थी। जिनकी आज 11 फरवरी को पुण्यतिथि है।


कमाल एक कमाल के लेखक, संवाद लेखक ही नहीं कमाल के गीतकार, निर्माता, निर्देशक और कमाल के इंसान भी थे। कमाल अमरोही ने अपने लंबे फिल्म करियर में सिर्फ चार फिल्मों का निर्देशन किया, महल, दायरा, पाकीज़ा और रज़िया सुल्तान। इनमें से भी सिर्फ दो फिल्मों को ही बॉक्स ऑफिस पर सफलता मिली। लेकिन अपनी इन फिल्मों की ही बदौलत कमाल अमरोही इतना कुछ कर गए जो कभी दस सुपर हिट फिल्में करने के बाद भी नहीं हो पाता।


कमाल अमरोही का असली नाम सैय्यद अमीर हैदर था, जिनका जन्म 17 जनवरी 1918 को अमरोहा में हुआ था। लेकिन यह कमाल अमरोही के रूप में मशहूर रहे।


कमाल अमरोही को फिल्मों में लाने का श्रेय अमर गायक और अभिनेता के एल सैगल को जाता है। उन्होंने ही कमाल को अपने जमाने के महान फ़िल्मकार सोहराब मोदी से मिलवाया था। मोदी के साथ बतौर लेखक अपनी फिल्म पारी शुरू करने वाले कमाल ने उनके साथ जेलर, पुकार जैसी शानदार फिल्में भी दीं। सोहराब मोदी से जब पहली बार कमाल अमरोही काम के लिए मिले तो उनको देखकर मोदी ने कहा की आपको देखकर नहीं लगता कि आप तारीखी फिल्में लिख सकते हैं। इस पर कमाल ने कहा- मैं देखने की चीज़ नहीं हूँ, सुनने की चीज़ हूँ। “ उनके इस कमाल के संवाद को सुनकर सोहराब ने कमाल को अपने यहाँ तुरंत 300 रुपए के वेतन पर लेखक के रूप में नौकरी दे दी।


कमाल अमरोही की बड़ी पहचान पहली बार तब बनी जब उन्होंने सन 1949 में ‘महल’ फिल्म का लेखन, निर्देशन किया। यह देश की पहली हॉरर फिल्म के रूप में याद की जाती है। जिसने उस समय सफलता का नया इतिहास लिख दिया था। इस फिल्म से जहां पहली बार लता मंगेशकर को ‘आयेगा आने वाला’ गीत से लोकप्रियता मिली। वहाँ 16 साल की मधुबाला इसी फिल्म से स्टार बन गईं। यानि लता मंगेशकर और मधुबाला को बुलंदी पर पहुंचाने का पहला श्रेय कमाल अमरोही को जाता है।


कमाल अमरोही मीना कुमारी जैसी अदाकारा के शौहर भी थे। मीना कुमारी कमाल की तीसरी पत्नी थीं। लेकिन दोनों के प्रेम के किस्से उस दौर में जबर्दस्त सुर्खियों में थे। मीना कुमारी अमरोही की कमाल की प्रतिभा की दीवानी थीं। वह खुद भी गज़ब की शायरा थीं, इसलिए दोनों की पहले खूब जमी। मीना कमाल को चन्दन कहती थीं और कमाल मीना को मंजू कहकर बुलाते थे। लेकिन सन 1964 में मीना उनसे अलग हो गईं। इसके बावजूद उन्होंने फिल्म ‘पाकीज़ा’ में उनके साथ काम किया। जो मीना की शानदार फिल्म के साथ उनकी अन्तिम फिल्म भी बन गयी।


‘महल के बाद ‘पाकीज़ा’ कमाल अमरोही की दूसरी ऐसी फिल्म थी जो भारतीय सिनेमा की कालजयी फिल्म है। ‘पाकीज़ा’ का मुहूरत 16 जुलाई 1956 को हुआ था लेकिन इसे बनने में 16 साल का लंबा समय लग गया और यह 4 फरवरी 1972 को रिलीज हो सकी।