नहीं रहे जाने माने फ़िल्मकार और रंगकर्मी संदीपन नागर


नहीं रहे जाने माने फ़िल्मकार और रंगकर्मी संदीपन नागर


प्रदीप सरदाना


कई हिन्दी फिल्मों और सीरियल के अभिनेता,लेखक और निर्देशक संदीपन विमलकांत नागर इस दुनिया में नहीं रहे। 28 दिसंबर को मथुरा में देर रात हृदयगति रुक जाने से उनका निधन हो गया। पिछले करीब 40 बरसों से रंगमंच, रेडियो,टीवी और सिनेमा में सक्रिय 60 वर्षीय संदीपन हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर के नाती और प्रसिद्द लेखिका अचला नगर के पुत्र थे। अचला नागर अपनी निकाह, बागबान , नगीना, तोहफा, बाबुल, आदमी खिलौना है और आखिर क्यों जैसी फिल्मों की, कहानी पटकथा के लिए भी मशहूर रही हैं। संदीपन के छोटे भाई सिददार्थ नागर भी एक अभिनेता और फिल्म निर्देशक हैं।



संगीत नाटक अकादमी सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित संदीपन ने जहां फिल्म अभिनेता के रूप में गांधी, पान सिंह तौमर, सीपियाँ, ब्रिज का बिरजू और धप्पा जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। वहाँ संदीपन के निर्देशन में 1986 में बनी फीचर फिल्म 'सुबह होने तक' को भी काफी सराहा गया था। जिसमें परीक्षित साहनी, कंवलजीत,संगीता नायक और पल्लवी जोशी मुख्य भूमिकाओं में थे। इधर पिछले दिनों कैफी आज़मी पर बनी लघु फिल्म में भी संदीपन ने कैफी आज़मी की भूमिका की थी।


लखनऊ में 27 फरवरी 1960 को जन्मे संदीपन को साहित्य और रंगमंच अपने नाना अमृतलाल नागर से विरासत में मिले। वहीं इन्होंने बाल नाट्य समूह बनाकर रंगमंच से ऐसा नाता जोड़ा जो अंत तक बना रहा। जयपुर में पढ़ाई के दौरान रंगमंच की परिपाटी को आगे बढ़ाने के बाद मुंबई में भी संदीपन ने रंगमंच में काफी काम किया। संदीपन ने नादिरा ज़हीर बब्बर, अनुपम खेर, बंसी कौल, सतीश कौशिक राजा बुंदेला सहित कई जानी मानी हस्तियों के साथ अपनी कला यात्रा को नए आयाम दिये।


संदीपन का सबसे बड़ा योगदान ब्रज क्षेत्र में रंगमंच और सिनेमा को एक नयी दिशा देने का है। मथुरा में अपने स्वास्तिक रंगमंडल से संदीपन ने अनेक नाटकों का मंचन करके और फिर लघु फिल्में बनाकर कई नयी प्रतिभाओं को मौके दिये। इसके लिए संदीपन नागर को ब्रज निधि सम्मान, ब्रज रत्न और ब्रज भूषण जैसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया। साथ ही सदीपन ने दूरदर्शन के कुछ सीरियल में अभिनय करने के साथ उनका निर्देशन भी किया।


हाल ही में संदीपन द्वारा लिखित, अभिनीत और निर्देशित लघु फिल्म 'सांझा' और फिर उसके सीकवेल 'संडे' को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में बहुत से पुरस्कार मिले हैं। अभी 23 दिसंबर को भी 'लेक सिटी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में भी संदीपन को अपनी इस फिल्म के लिए पुरस्कार मिला था।