ममूटी अच्छे कलाकार ही नहीं अच्छे इंसान भी हैं – प्राची तेहलन


ममूटी अच्छे कलाकार ही नहीं अच्छे इंसान भी हैं – प्राची तेहलन


प्रदीप सरदाना


भारतीय फिल्में अब कितने बड़े केनवास पर बन रही हैं और उनकी भव्यता किस चरम तक पहुँच चुकी है, इसकी सबसे बड़ी मिसाल कुछ समय पहले 'बाहुबली' फिल्म से मिल चुकी है॰ लेकिन आज एक और ऐसी फिल्म 'मामंगम' रिलीज हो रही है, जिसकी तुलना 'बाहुबली' से होने लगी है॰ मूलतः मलयालम में बनी यह फिल्म हिन्दी सहित तमिल और तेलुगू में भी है॰ यह देश की पहली ऐसी मलयालम फिल्म है जो चार भाषाओं में प्रदर्शित हो रही है॰


'बाहुबली' से इसकी तुलना होने का सबसे बड़ा कारण 'मामंगम' की भव्यता है॰ फिल्म के प्रोमो में इसके सेट और युद्द दृश्य देखकर भी सहसा 'बाहुबली' की याद हो आती है॰ लेकिन फिल्म का एक बड़ा आकर्षण इसके नायक ममूटी भी हैं॰ ममूटी मलयालम फिल्मों के ऐसे सुपर स्टार हैं कि उनका जलवा पूरे दक्षिण भारत में है॰ पिछले चार दशकों से दक्षिण भारत के दर्शकों पर अपना जादू चलाते आ रहे ममूटी अब तक करीब 400 फिल्मों में काम कर चुके हैं। ममूटी यूं इससे पहले भी अपनी कुछ हिन्दी फिल्मों में आ चुके हैं जिसमें धरतीपुत्र के साथ अँग्रेजी-हिन्दी में बनी वह 'बाबा साहब अंबेडकर' फिल्म भी है जिसमें ममूटी ने डॉ अंबेडकर की भूमिका निभाई थी, इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था॰


'मामंगम' का दूसरा आकर्षण इस फिल्म की लीड फ़ीमेल प्राची तेहलन भी हैं॰ प्राची कुछ बरस पहले तक इंडियन नेटबाल टीम की कैप्टन के रूप में देश के लिए पदक जीतकर नेटबाल और बास्केटबाल की बेहतरीन महिला खिलाड़ी थीं।  उसके बाद प्राची यकायक अभिनय की दुनिया में आ गईं और स्टार प्लस के 'दिया और बाती हम' तथा 'इक्यावन' सीरियल से अच्छी ख़ासी पहचान बनाई॰ लेकिन तभी प्राची को 'मामंगम' मिली तो उन्हौने सीरियल को टाटा कह दिया। प्राची 'मामंगम' की पूरी स्टार कास्ट में अकेली ऐसी हैं जो उत्तर भारत से हैं॰


हाल ही में प्राची तेहलन से बात हुयी तो वह बोलीं- मेरी यह फिल्म चार भाषाओं में देश विदेश में बड़े पैमाने पर रिलीज हो रही है मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है। मैं इसमें देवदासी उन्नीमाया की भूमिका में हूँ॰ इसके लिए मैंने तलवार बाजी आदि भी सीखी॰


ममूटी के साथ काम करने और इस फिल्म की तुलना 'बाहुबली' से होने के सवाल पर प्राची कहती हैं- ममूटी के साथ काम करना एक सपने के सच होने सा है॰ पर जहां तक 'बाहुबली' से 'मामंगम' की तुलना की बात है तो वह ठीक नहीं है॰ यह मलयालम की अब तक की सबसे बड़े बजट की फिल्म है लेकिन 'बाहुबली' का बजट इससे बहुत बहुत ज्यादा था। फिर 'बाहुबली' 'एक फिक्शन फिल्म थी लेकिन हमारी यह फिल्म एतिहासिक है॰ मामांगम केरल का एक ऐसा महाउत्सव है जो 400 साल पुराना है॰ यह उत्सव वहाँ 280 साल तक चला॰ उस दौर को जिस तरह रुपहले पर्दे पर उतारा है वह भव्यता भी इस फिल्म की यूएसपी है॰