ओमकार नाथ कौल के कश्मीरी भाषा और साहित्य योगदान पर परिसंवाद का आयोजन

 

साहित्य अकादेमी ने 24 अक्तूबर 2020 को, वेबलाइन साहित्य श्रृंखला  के अंतर्गत, भाषाविद ओमकार नाथ कौल (1941-2018) के कश्मीरी भाषा और साहित्य को योगदान पर एक परिसंवाद का आयोजन किया। इस वर्चुअल लाइव कार्यक्रम को 2 से 4 बजे तक यूट्यूब तथा साहित्य अकादेमी की वेबसाइट पर प्रसारित किया गया।

उद्घाटन सत्र का आरंभ साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ के. श्रीनिवासराव के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने प्रोफेसर कौल द्वारा रचित 50 से ऊपर पुस्तकों तथा 150 से ज्यादा लिखे गये उन लेखों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन के योगदान ने कश्मीरी भाषा और साहित्य को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आरंभिक वक्तव्य में प्रख्यात कवि ओ. एन. शबनम ने प्रोफेसर कौल के जीवन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपना स्थान विश्व के बड़े-बड़े भाषा वैज्ञानिकों की पंक्ति में शामिल कर दिया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रख्यात समालोचक मोहम्मद जमां आजुर्दा ने प्रोफेसर कौल के साथ उनके संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कश्मीरी व्याकरण की पुस्तकों को आधुनिक पाठ्यक्रम के अनुसार पुनर्गठित कर के उन्हें नये रूप में प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में देश तथा जम्मू-कश्मीर के प्रमुख विद्धानों ने आलेख पाठ किया। आलेख प्रस्तुत करने वाले साहित्यकार थे- डॉ रूप क्रष्ण भट्ट, डॉ आफाक अजीज, डॉ रतन तलाशी तथा डॉ एजाज मोहम्मद शेख।

कार्यक्रम का  संचालन, साहित्य अकादेमी के कश्मीरी परामर्श मंडल के सदस्य, प्रख्यात कथाकार गौरीशंकर रैणा ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रोफेसर ओमकार नाथ कौल के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी अप्रकाशित कृतियों  को भी सामने लाने की कोशिश की जानी चाहिए। साहित्य अकादेमी के संपादक, अनुपम तिवारी ने पूरे कार्यक्रम की कार्यवाही  को बखूबी अंजाम दिया। उन की भाषा और प्रस्तुति प्रशंसनीय रही।