क्या मेनका बनकर अय्यर की तपस्या भंग कर पाएगी बबीता


- कृतार्थ सरदाना


सुप्रसिद्द टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में अब दर्शकों को बबीता  और अय्यर का अलग ही रंग देखने को मिलेगा। हमेशा आधुनिक रंग और लिबास में रंगी बबीता अब मेनका बनकर अय्यर और दर्शकों पर अपना जादू चलाती दिखाई देगी।


लॉकडाउन के चलते जहां गोकुल धाम सोसाइटी के लोग परेशान हैं। वहाँ ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की लॉकडाउन में शूटिंग करना भी काफी मुश्किल हो गया है। मुंबई में सीरियल शूटिंग को लेकर नियम इतने सख्त हैं कि अब बहुत कम कलाकारों के साथ ही शूटिंग संभव है। फिर कोरोना से बचाव के लिए खुद भी निर्माता और कलाकारों को बहुत सी सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं। इसलिए अब सीरियल की कहानी का ताना बाना ऐसे बुना जा रहा है कि जिसमें कहानी का फोकस दो-चार पात्रों पर ही रहे।


पीछे जहां गोली और उसकी मम्मी कोमल को लेकर एपिसोड बनाए गए। अब इसमें बबीता और अय्यर पर फोकस रहेगा। कहानी में दिखाया जाएगा कि अय्यर इस बात से परेशान है कि दुनिया ने विज्ञान में इतनी प्रगति कर ली लेकिन अभी तक कोरोना की वेक्सीन नहीं बन पा रही है। यह सोचकर अय्यर अखंड तपस्या करने बैठ जाता है कि जब तक उसे कोरोना का हल नहीं मिलता तब तक वह तपस्या करता रहेगा।



बबीता अय्यर के इस निर्णय और उसके नए रूप को देख हैरान रह जाती है कि एक तो अय्यर इतने दिनों से घर में रहकर पहले ही तनाव में है। दूसरा तपस्या के चलते वह बिना खाये पिये रहेगा तो बीमार भी हो जाएगा। इसलिए बबीता अय्यर की तपस्या भंग करने के लिए कुछ वैसा ही करती है जैसा कभी मेनका ने विश्वामित्र के तपस्या भंग करने के लिए किया था।


कुछ कुछ वैसा भी जब फिल्म सन्यासी में हेमामालिनी भी मेनका बनकर संन्यासी बने मनोज कुमार को लुभाने के लिए- ‘’चल संन्यासी मंदिर में, तेरा चिमटा, मेरी चूड़ियाँ दोनों साथ बजाएँगे, साथ साथ खनकाएंगे”, बोलते हुए नाचती गाती है। लेकिन अब यह देखना होगा कि क्या बबीता, मेनका बनकर भी अपने पति अय्यर की तपस्या भंग कर भी पाती है या नहीं।