पूर्वोत्तर के लोगों की सहायता के लिए 'चर्च' ने भी की 'संघ' की प्रशंसा
कोरोना वायरस से बचने के कारण सारे देश मे व दिल्ली में लॉकडाउन घोषित है। इससे कोरोना से बचा तो जा सकता है मगर एक और समस्या है जो इस समय लोगों को तकलीफ़ में डाल रहा है। दिल्ली में प्रवासी मजदूर वर्ग व पूर्वोत्तर राज्यों की जनता बहुत ही अकेली महसूस कर रही है। पूर्वोत्तर के लोगों को प्रवासी मज़दूरों की अपेक्षा अधिक समस्याओं का सामना दिल्ली में करना पड़ा।
पूर्वोत्तर से होने के कारण वहाँ के लोगों में व दिल्ली के लोगों में भाषा, प्रान्त, परंपरा के कारण पड़ने वाले फ़र्क के कारण पूर्वोत्तर के लोग दिल्ली में बहुत अकेला और असहाय महसूस कर रहे थे, मगर इससे पहले कि यह विचार उनमें घर करता, एक संगठन तन मन धन से इनके साथ खड़ा हुआ और इन्हें अकेलेपन के विचार से दूर किया।
लॉकडाउन के पहले सप्ताह से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त ने पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किया। अब जानने में यह भी आ रहा है कि पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर क्षेत्र के हस्तसाल इलाके में पूर्वोत्तर से मिज़ोरम के करीब 50 परिवारों को कच्चा राशन संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा दिया गया है। इन 50 परिवारों में करीब 235 सदस्य रहते हैं। इन परिवारों में संघ द्वारा: 5 किलो चावल, 2 किलो आटा, 1 किलो दाल, 1 किलो चना व 1 किलो नमक का वितरण किया गया। औसतन प्रत्येक परिवार में 3-4 सदस्य होंगे और देखा जाए तो मोटे तौर पर यह राशन दस दिनों तक इन परिवारों में चलाया जा सकता है।
स्थानीय लोगों द्वारा जानकारी मिलने के बाद संघ की स्थानीय नगर ईकाई तुरंत ही इन लोगों की सेवा में जुट गई। मिज़ोरम के अभावग्रस्त परिवारों की सूची बनाने तथा सभी सामग्री को एकत्र करके उन्हें राशन सामग्री चर्च में दी गयी। सूची बनाने से लेकर वितरण करने तक का काम संघ के हस्तसाल क्षेत्र के नगर सह कार्यवाह पूरन और मंडल (दो या उससे अधिक बस्तियाँ) कार्यवाह रमेश ने अपने जिम्मे उठाया। मिज़ोरम के निवासियों द्वारा संचालित जोमी चर्च के पास्टर 'पान खान खुप' ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इस अद्वितीय सहायता के लिए धन्यवाद देकर अपना आभार व्यक्त किया।
बातचीत करने पर स्थानीय संघ अधिकारी- पूरन और रमेश ने बताया - "पूर्वोत्तर के लोग हमसे अलग नहीं, बल्कि हमारे ही परिवारजन हैं। वे अपने राज्य से तो दूर हैं, मगर किसी पराए देश में नहीं बल्कि अपने ही घर में हैं।" आगे की योजना पूछने पर इन्होंने बताया -" हमारा लक्ष्य इस क्षेत्र में रहने वाले हर अभावग्रस्त पूर्वोत्तर के परिवार तक भोजन व राशन पहुंचाना है।"
हस्तसाल क्षेत्र में पूर्वोत्तर निवासियों की सबसे ज़्यादा संख्या हस्तसाल गाँव बस्ती में है। यहाँ करीब 150 से ज़्यादा परिवार पूर्वोत्तर के हैं जिनमें 900 से अधिक सदस्य रहते हैं। इनमें से 50 परिवारों को राशन उपलब्ध कराया जा चुका है, और अन्य परिवारों का भी सर्वेक्षण किया जा रहा है।
जहाँ एक ओर पूर्वोत्तर के हक़ में बात करने का दावा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता आज उनके साथ भी नहीं दिखते वहीं संघ किसी यश, कीर्ति, श्रेय की आकांक्षा के बिना ही धरातल पर अनेकों देशभक्त स्वयंसेवकों को लेकर देश के हर अभावग्रस्त जनता के साथ लॉकडाउन की इस समस्या में खड़ा है और कोरोना से होने वाली हर समस्या को हरा रहा है।